" प्राण पर नियंत्रण ही प्राणायाम है "
प्राणायाम श्वास-प्रश्वास का वह अभ्यास है जो मनुष्य को अमरत्व प्रदान करता है शुद्ध प्राण वायु को शरीर के अंदर लेना तथा गंदगी वायु को बाहर निकालना । नियमानुसार विधि पूर्वक करने से जो प्रेरक दिव्य शक्ति मनुष्य के हृदय कमल में छिपी रहती है वह दीर्घ जीवन प्रदान करने के साथ-साथ नित्य नवीन अनुभूतियां भी करती हैं
प्राणायाम के तीन करम है :-
1 : रेचक
2 : पूरक
3 : कुम्भक
सांस बाहर निकालना रेचक तथा सांस अंदर लेना पूरक और प्राण वायु को रोकना कुम्भक कहलाता है ।
प्रणायाम के प्रकार शास्त्रों के अनुसार प्राणायाम लगभग 50 प्रकार के होते हैं लेकिन उनमे से मुख्य 10 प्रकार के ही प्रणायाम होते हैं ।
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