एनीमा चिकित्सा



        प्राकृतिक चिकत्सा के साधनों में सर्वप्रथम स्थान एनीमा का है, एनीमा द्वारा अंतो में रूका मल की सफाई करने के लिए 1 दिन हरी सब्जी के रस पर रहकर दूसरे दिन 10 -11 बजे एनीमा लेना चाहिए ।   

विधि 



1. एनीमा किसी तख्ते या टाईट खाट पर पैताने को सिरहाने से तीन इंच ऊँचा रखकर सीधे लेटकर या बाई करवट लेटकर बाँया टांग सीधी रखते हुए दाँयी टांग मोड़कर लेना चाहिए ।

2. एनीमा का बर्तन लेटने की जगह से 4 फुट से अधिक ऊँचा नही होना चाहिए ।

3. आंतों पर बिना किसी प्रकार का जोर अथवा बल डाले जितना अधिक जल आसानी से चढ़ा सके तो चढ़ा लें और बिना किसी परेशानी के जब तक रोंक संके रोंके

4. आयु, शक्ति एंव आवश्कता के अनुसार 250 मीली. से 1 लीटर तक जल लिया जा सकता है ।

5. जल में एक या दो नींबू का रस मिलाना चाहिए । यादि किसी व्यक्ति के पेट में कीड़े हों तो पानी में 25 ग्राम प्याज का रस अथवा 5 ग्राम लहसुन का रस मिला लेना चाहिए ।

6. नोजुल एंव गुदाद्दार में तेल अथवा कोई चिकना पदार्थ लगाना चाहिए ।

7. जल शरीर के ताप के समान गर्म होना चाहिए ।

8. बांई करवट लेटकर दाहिने हाथ से नोजुल गुदा के अन्दर ले जाना चाहिए  ।

9. पूरा पानी चढ़ जाए तो क्रमशः बांई करवट, पेट के बल,ांई करवट पीठ के बल लेटना एंव अंत में खड़े होकर 5 मिनट बड़ी आत की मालिश करनी चाहिए ।

10. मल यदि अधिक काला निकले तो एनीमा दोहराना चाहिए ताकि बचा-कुचा मल साफ ही जाए । 


लाभ

1. एनीमा से नया व पुराना मल जल में घुलकर बाहर निकलने में आसानी होती है ।

2. एनीमा,गर्मियों में ताजे पानी से तथा ठंड मे हल्के गुनगुने पानी का लेने से रूका हुआ मल आसानी से साफ हो जाता है ।

3. चिकित्सा के प्रारम्भ में संचित मल से उत्पन्न सड़ान में, उफान,घातक कीटाणु से मुक्ति पाने और समय-समय पर संचित दूषित मल को बाहर निकालने के लिए एनीमा का प्रयोग आवशक एंव उपयोगी है ।

4. जब कई बार गुनगुने जल का एनीमा लें तो अन्त में 250 मिली. ठंडे जल का एनीमा लेकर जल रोंके, इससे आंते अधिक सशक्त होती है ।

5. आंतो के रक्त संचार में तेजी आती है ।

सावधानियाँ  

1. एनीमा लेने के पहले शौच जाकर आंत साफ कर लेना चाहिए

2. ऋतू के अनुसार ताजा अथवा गर्म जल लेना चाहिए ।

3. एनीमा के बर्तन लेटने के स्थान से ढेड़ मीटर ऊंचाई पर टांगना चाहिए ।

4. यदि बर्तन मे जल कम हो जाए तो और जल डाल लेना चाहिए ।

5. एनीमा लेने से पहले नोजुल का बटन खोलकर थोड़ा जल बहार निकल दे ताकि अन्दर कि हवा बहार निकल जाए वरना आंत में वायु प्रवेश कर दर्द होने का भय रहता है ।

6. एनिमा लेते समय गुदाद्दार में दर्द हो तो उसी समय जल बन्द कर आंत को बाँयीं से दाँयी ओर मालिश करनी चाहिए ।

7. आवश्कतानुसार जल को तेज या मन्द गति से चढ़ाना चाहिए। जल कम होने पर नोजल का बटन बन्द कर देना चाहिए वरना वायु अन्दर जाने से उपद्रव हो  सकता है ।

8. एनिमा के बाद शक्ति के अनुसार ठन्डा अथवा गरम जल से स्नान करना चाहिए ।

9. आपत्तिकाल के अलावा एक ही समय में कई बार एनिमा नहीं लेना चाहिए बल्कि आंतो को स्वत: कार्य करने का अवसर देना चाहिए । 

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