संसार में मनुष्य या जीवन के लिए सूर्य किरण चिकित्सा उपयोगी एवं अति महत्वपूर्ण है । सम्पूर्ण संसार को, सृष्टि को,ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है उसी प्रकार जीवन यापन तथा भोजन सामग्री के लिए भी मानव सूर्य पर ही निर्भर करता है और इसी प्रकार सूर्य का उपयोग रोगों की चिकित्सा में भी किया जाता है । विभिन्न रोगों मे विभिन्न प्रकार से सूर्य कि किरणों का उपयोग किया जाता है

अर्थात सूर्य तो चल-अचंल अथवा जड़ चेतन की प्राणात्मा है सूर्य कि गर्मी से वायु संचार होता है,सूर्य के किरणे,गन्दगी और दुर्गन्ध को दूर करती है जहा सूर्य प्रकाश का अभाव है वाही डॉक्टर कि आवयश्कता पढ़ती है अत: कह सकते है अन्धकार ही मृत्यु है सूर्य कि किरणों से समुंद्र का खारा जल वाष्प बनकर पृथ्वी पर मीठा जल बनकर बरसता है,सूर्य प्रकाश के बिना पेड़ पौधे मुरझा जाते है और संसार कि सब विकसित शक्तियों का स्त्रोत सूर्य ही है
सूर्य-नमस्कार ( वैज्ञानिक व्यायाम )
1. अवस्थान आसन ( नमस्कारासन )
2. जानुनास आसन ( हस्तपादासन )
3. उध्र्वेक्षण आसन ( एकपाद प्रसारणासन )
4. तुलितवपु आसन ( द्दिपाद प्रसारणासन )
5. साष्टांग आसन (अष्टांगप्रणिपातासन )
6. कशेरूसंकोच आसन ( भुजंगासन )
7. कशेरू-विकसन (पर्वत या भूधरासन )
8. उध्र्वेक्षण आसन ( एकपाद प्रसारणासन )
9. जानुनास आसन ( हस्तपादासन )
10.अवस्थान आसन ( नमस्कारासन )
विभिन्न रोगों मे विभिन्न प्रकार से सूर्य की किरणों का उपयोग किया जाता है जैसेकि -
1. जिर्ण रोग :- प्रातकाल औए सायं खाली पेट सूर्य तप्त हरी बोतल का पानी भोजन करने के पश्चात नारंगी रंग के सूर्य तप्त पानी का सेवन करने से कब्ज़ रोग दूर होता है ।सूर्य तप्त पीले व हरे फल सब्जियों का सेवन करना चाहिये ।
2. पीलिया :- थोड़ी थोड़ी देर बाद दिन मे काई बार रोगी को हरा सूर्य तप्त पानी का सेवन कराते है पेट पर भी हरे पानी कि पट्टी रखते है ।
3. लकवा :- नारंगी रंग का पानी पिलाते है ,रूग्ण अंग पर लाल तेल ( सूर्य तप्त ) कि मालिश कर ,अंग विशेष पर लाल प्रकाश डालकर सूर्य स्नान करते है ।
4.जोड़ो के दर्द :- सूर्य तप्त लाल तेल कि मालिश तथा ( सूर्य स्नान ) धूप स्नान कराते है तथा जोड़ो पर लाल प्रकाश डालते है ।
5. लू लगने पर :- नीले रंग कि बोतल का सूर्य तप्त पानी थोड़ी थोड़ी देर मे कई बार पिलाए । मस्तिष्क पर नीले तेल कि मालिश तथा नीले रंग का ध्यान करते है ।
सूर्य किरणों से चिकित्सा लाभ
1. धूप स्नान स्वास्थ्य रक्षा मे महत्वपूर्ण भूमिका निभता है
2. यह मांसपेशियों को सद्दढ़ व सबल बनता है
3. सनायु एव नाड़ी मंडल को सबल बनता है
4. धूप से रक्त का बहाव परिसंचरण ठीक प्रकार से होता है
5. पाचन क्रिया के अंग तथा पैन्क्रियाज़ ,यकृत,प्लीहा अामाशय को सक्रिय करता है जिसमे समुचित मात्रा मे पाचक रसो का निर्माण होता है
6. धूप से शरीर को विटामिन डी प्राप्त होता है धूप कि किरणों से ही त्वचा व रक्तहीन जैसे रोगों से बचाव होता है
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